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सुना है बहुत मशहूर हो तुम......

सुना है बहुत मशहूर हो, तुम  दिल बहलाने में, कभी तशरीफ लाओ ह, गरीबखाने में। यहाँ मंदिर में आरती मस्जिद से अजां की अवाजें आती हैं मज़हब के नाम पर तलवारें तन जाती हैं। मर चुकी है इन्सानियत जिन्दा इन इन्सानों में है दामन सबका मटमैला फिर भी गर्व महसूस करते हैं खुद का धर्म बताने में। कोशिश करके देख लो तुम भी शायद ये गले लग मिल जाएं हम भी कसर न छोड़ेंगे अब तुमको अजमाने में। सुना है बहुत मशहूर  हो तुम दिल बहलाने में कभी तशरीफ लाओ हमारे गरीबखाने में।                                                       :- नितिन कुमार

नन्ही सी नदी....

नन्ही- सी नदी हमारी टेढ़ी - मेधी धार, गर्मियों में घुटनें भर भिगो कर जाते पार।       पार जाते ढोर- डांगर बैलगाड़ी चालू,        उच्चे है किनारे इसके, पाट इसका ढालू। पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम, कांश फुले एक पार उजले जैसे धाम।         दिन भर किचपिच- किचपिक करती मैना डार- डार         रातों को हुआ- हुआ कर उठते सियार।                                                   :- नितिन कुमार